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शिक्षण मात्र जीविकोपार्जन का साधन ही नहीं अपितु राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया का प्रमुख स्रोत है जिसमें संस्कार से लेकर अचार व्यवहार की झलक प्रतिबिंबित होती है | .ओ.स्मिथ के अनुसार “शिक्षण अधिगम को उत्प्रेरित करने वाली एक पद्धति हैं” रायबर्न के अनुसार शिक्षण के परिभाषा “शिक्षण एक प्रकार के ऐसे सम्बंध हैं , जो बालक को उसकी अंतर्निहित क्षमताओं को विकसित करने में उसकी साहयता करते है” ए. एल. गेज के अनुसार शिक्षण की परिभाषा ” शिक्षण एक प्रकार का पारस्परिक प्रभाव है, जिसका उद्देश्य दूसरे व्यक्ति के व्यवहारों में वांछित परिवर्तन लाना हैं” बर्टन के अनुसार शिक्षण की परिभाषा ” शिक्षण अधिगम का उद्दीपन, निर्देशन और प्रोत्साहन हैं” शिक्षण के प्रकार: शिक्षण के प्रकार निम्लिखित है- (1) एकतंत्रात्मक शिक्षण –एकतंत्रात्मक शिक्षण में शिक्षक का स्थान शिक्षण प्रक्रिया के अंतर्गत प्रधान माना जाता हैं और छात्र का स्थान गौण होता है। (2) लोकतंत्रात्मक या जनतंत्र शिक्षण-यह शिक्षण प्रणाली मानवीय संबधो पर आधारित होती है। इस शिक्षण में शिक्षक एवम छात्र एक दूसरे को प्रभावित करने का प्रयत्न करते है|