Study Spot
Customized learning paths based on interests
एक टीचर की सबसे बड़ी खासियत स्टूडेंट्स को इंगेज कर पाने की उसकी क्षमता है। जो टीचर पढ़ाते हुए स्टूडेंट्स को इंगेज कर पाते हैं, सब्जेक्ट के प्रति प्रेम पैदा कर पाते हैं, उसमें आगे बढ़ने और एक्सप्लोर करने के लिए बच्चों को उकसा पाते हैं, उनके लिए पढ़ाना आनंददायक काम साबित होता है। खुद स्टूडेंट्स ऐसे टीचर से बहुत दूर तक जोड़े रहते हैं और उनके कहे पर अमल भी करते हैं। अगर टीचर इंगेज नहीं कर पाते तो यह उनकी सबसे बड़ी नाकामी है। एक पुरानी चाइनीज कहावत है : You tell me, I will forget, you show me, I may remember, you involve me, I will understand.टीचर को सबसे ज्यादा इस कहावत के आखिरी हिस्से पर अमल करना चाहिए। उसे हर तरह से स्टूडेंट को इंवॉल्व करने का हुनर आना चाहिए। खासकर एक ऐसे वक्त में जब स्टूडेंट्स के पास सूचना और जानकारी पाने के स्त्रोत बढ़ गए हैं, टीचर को इसे अपने लिए एक चुनौती की तरह लेना चाहिए। वह यह देखें कि कैसे टेक्नीकल एंडवांसमेंट के साथ अपने टीचिंग मेथड का तालमेल बिठा सकते हैं। मार्शल मैकलूहान ने कहा था कि टेक्नॉलजी हमारे दिमाग का ही एक्सटेंशन है। ऐसे में जब टीचर स्टूडेंट के साथ इंटरेक्ट करें, खासकर बड़ी क्लासेस में, तो तकनीकी रूप से उनकी बेहतरी को उन्हें अपने लिए एक चुनौती और मौके के तौर पर लेना चाहिए। चुनौती इस मामले में कि अब वे कुछ भी पढ़ा कर क्लास से निकल नहीं सकते, सजग स्टूडेंट दूसरे स्त्रोतों से जानकारी इकट्ठा कर दिक्कत पैदा करेंगे। लेकिन अगर टीचर खुद ज्ञान के इन नए फोरम से अपने को जोड़ेंगे तो स्टूडेंट्स के साथ उनका इंटरैक्शन बेहतर और आसान हो जाएगा। मिसाल के तौर पर हर क्लास में प्रोजेक्ट वर्क होते हैं। एक छोटा सा उदाहरण लेते हैं। टीचर स्टूडेंट्स के साथ मिलकर एक फोरम बना लें। फेसबुक पर फोरम बनाकर प्रोजेक्ट के बारे में दूसरे लोगों से भी विचार मांगे और स्टूडेंट्स से भी पूछे। इससे स्टूडेंट्स को काफी कुछ जानने का मौका मिलेगा और उसकी रुचि भी पढ़ाई में और बढ़ेगी। छोटी क्लासेस में भी स्टूडेंट्स को ज्यादातर वे टीचर पसंद आते हैं जो बोझिल से बोझिल सब्जेक्ट को भी दिलचस्प अंदाज में पढ़ाते हैं। ऐसा करते वक्त आम जिंदगी में उस सब्जेक्ट से जुड़े ऐप्लिकेशन बच्चों के सामने रखना चाहिए जिससे बच्चे आसानी से रिलेट कर सकें। किताबी पढ़ाई के साथ-साथ प्रैक्टिकल चीजों की जानकारी देना जरूरी है। इसलिए उसे असल जिंदगी के अनुभवों के साथ जोड़कर बताएं। उदाहरण के लिए अगर बच्चे को बारिश पर कोई कविता याद करा रहे हों तो उनकी उम्र के हिसाब से किसी फिल्मी गाने को जोड़कर समझा सकते हैं। स्पोर्ट्स की जानकारी देनी हो तो बड़े खिलाडि़यों का जिक्र करके बता सकते हैं। सब्जेक्ट्स को सवाल-जवाब के जरिए पढ़ाएं। इसके लिए खुद भी तैयारी करें। ग्राफिक टेक्नीक का इस्तेमाल करें क्योंकि बच्चों को शब्दों से ज्यादा तस्वीरें अपने करीब खींचती हैं। टीचिंग टूल्स का यूज करें।
Teaching ki naveentaam technology ka class mein prayog kar uske anusar students ki catching power ko dhyan mein rakhna hai . Extra class lekar students ki weekness ki checking kar usi anusar teaching method ka class mein prayog karen aur feedback lete rahen.
शिक्षण को बदलने के लिए, किसी को शिक्षण के प्रति अपनी मानसिकता को बदलना होगा। शिक्षक के माध्यम से ही बदलाव आएगा |