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सन 1900 से 1915 तक के कालखंड को हिन्दी कहानी के विकास का प्रारंभिक चरण माना जा सकता है। इस दौर में कई लेखकों की कहानियाँ प्रकाशित हुई जिससे हिंदी कहानियों के आधुनिक विकास के बारे में पता चलता है।