POOJA NAGPAL
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Meena
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Posted 6 year ago Meena Gurushala Teacher Coach

पृथ्वी की सतह से पानी वाष्प बनकर ऊपर उठता है और वापस ठंडा होकर पानी की बूंदों के रूप में बरसता है. सूरज की किरणें हमारी पृथ्वी को गर्म करती रहती हैं जिससे पानी के काण गर्म होकर वाष्प बनकर एक दूसरे से दूर जाने लगते हैं यह वास्प इतनी हल्की होती है कि धीरे-धीरे यह आसमान की तरह बहने लगती है. हर 1000 फीट पर तापमान करीब 5.5 डिग्री कम होने लगता है.वाष्प ऊपर उठने के साथ ही ठंडी होने लगती है और दोबारा तरल रूप धारण कर लेती है. पानी के यह छोटे-छोटे कण जब आपस में मिलते हैं तो उन्हें हम बादल कहते हैं. यह कण इतने हल्के होते हैं कि यह हवा में आसानी से उड़ने लगते हैं. उन्हें जमीन पर गिरने के लिए लाखों बूंदों को मिलकर एक क्रिस्टल बनाना होता है. और बर्फ का क्रिस्टल बनाने के लिए उन्हें किसी ठोस चीज की जरूरत होती है और इसके लिए पृथ्वी पर मौजूद जंगलों में लगने वाली आग के धुवे से निकलने वाले पार्टिकल्स, रेत के छोटे-छोटे कण, सूक्ष्म जीव और अंतरिक्ष से आने वाले माइक्रोमीटर राइट्स का इस्तेमाल होता है.

Nisha Nikam
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Pinky Dahiya
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Posted 6 year ago Pinky Dahiya Gurushala Teacher Coach

पृथ्वी द्वारा सूर्य का चक्कर लगाने के क्रम में पृथ्वी का कुछ भाग कुछ समय के लिए सूर्य से दूर चला जाता है। जिसे सूर्य का उत्तरायन और दक्षिणायन होना कहा जाता है। पृथ्वी पर स्थित दो काल्पनिक रेखाएं कर्क और मकर रेखा है। सूर्य उत्तरायन के समय कर्क रेखा पर और दक्षिणायन के समय मकर रेखा पर होता है। पृथ्वी पर इसी परिवर्तन के कारण ग्रीष्मकाल तथा शीतकाल का आगमन होता है। यहां पर मुख्यरूप से तीन मौसम होते हैं-ग्रीष्मकाल, वर्षाकाल तथा शीतकाल। ग्रीष्मकाल की अवधि मार्च से जून तक, वर्षाकाल की अवधि जुलाई से अक्टूबर और शीत काल की अवधि नवम्बर से फरवरी होती है। मौसम में इसी परिवर्तन के साथ हवा की दिशा भी बदलती है। जहां ज्यादा गर्मी होती है वहां से हवा गर्म होकर ऊपर उठने लगती है और पूरे क्षेत्र में निम्न वायुदाब का क्षेत्र बन जाता है। ऐसी स्थिति में हवा की रिक्तता को भरने के लिए ठंडे क्षेत्र से हवा गर्म प्रदेश की ओर बहने लगती है। शुष्क और वर्षा काल का बारी-बारी से आना मानसूनी जलवायु की मुख्य विशेषताएं हैं। ग्रीष्म काल में हवा समुद्र से स्थल की ओर चलती है जो कि वर्षा के अनुकूल होती है और शीत काल में हवा स्थल से समुद्र की ओर चलती है। ग्रीष्म काल में 21 मार्च से सूर्य उत्तरायण होने लगता है तथा 21 जून को कर्क रेखा पर लंबवत चमकता है। इस कारण मध्य एशिया का भूभाग काफी गर्म हो जाता है। फलस्वरूप हवा गर्म होकर ऊपर उठ जाती है और निम्न दबाव का क्षेत्र बन जाता है। जबकि दक्षिणी गोलार्ध के महासागरीय भाग पर ठंड के कारण स्थित उच्च वायुदाब की ओर से हवा उत्तर में स्थित कम वायुदाब की ओर चलने लगती है। इस क्रम में हवा विषवत रेखा को पार कर फेरेल के नियम के अनुसार अपने दाहिने ओर झुक जाती है। फेरेल के नियम के अनुसार पृथ्वी की गति के कारण हवा अपनी दाहिनी ओर झुक जाती है। यह हवा प्रायद्वीपीय भारत, बर्मा, तथा दक्षिण-पूर्वी एशिया के अन्य स्थलीय भागों पर दक्षिणी-पश्चिमी मानसूनी हवा के रूप में समुद्र से स्थल की ओर बहने लगती है। इसे दक्षिणी-पश्चिमी मानसून कहते हैं। ये हवा समुद्र से चलती है इसलिए इसमें जलवाष्प भरपूर होती हैं। इसी कारण एशिया महाद्वीप के इन क्षेत्रों में भारी वर्षा होती है। यह मानसूनी जलवायु भारत, दक्षिण-पूर्वी एशिया, उत्तरी आस्ट्रेलिया, पश्चिमी अफ्रीका के गिनी समुद्रतट तथा कोलंबिया के प्रशांत समुद्रतटीय क्षेत्र में पाई जाती है।

Mitesh Sharma
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Posted 5 year ago Mitesh Sharma

Rain is droplets of water that fall from clouds. ... This vapour rises, cools, and changes into tiny water droplets, which form clouds. The water droplets in the clouds join together to form bigger drops. When the water droplets get too large and heavy, they fall as rain.

Himani
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Posted 5 year ago Himani

Baris evaporation or condensation k process k baad Hoti hai..ye water cycle ka ek part hai

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