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प्राचीन मिस्र, नील नदी के निचले हिस्से के किनारे केन्द्रित पूर्व उत्तरी अफ्रीका की एक प्राचीन सभ्यता थी, जो अब आधुनिक देश मिस्र है। यह सभ्यता 3150 ई.पू.के आस-पास, प्रथम फैरो के शासन के तहत ऊपरी और निचले मिस्र के राजनीतिक एकीकरण के साथ समाहित हुई और अगली तीन सदियों में विकसित होती रही. इसका इतिहास स्थिर राज्यों की एक श्रृंखला से निर्मित है, जो सम्बंधित अस्थिरता के काल द्वारा विभाजित है, जिसे मध्यवर्ती काल के रूप में जाना जाता है। प्राचीन मिस्र नविन साम्राज्य के दौरान अपने चोटी पर पहुँची, जिसके बाद इसने मंद पतन की अवधि में प्रवेश किया। इस उत्तरार्ध काल के दौरान मिस्र पर कई विदेशी शक्तियों ने विजय प्राप्त की और फ़ैरो का शासन आधिकारिक तौर पर 31 ई.पू. में तब समाप्त हो गया, जब प्रारम्भिक रोमन साम्राज्य ने मिस्र पर विजय प्राप्त की और इसे अपना एक प्रान्त बना लिया।
मिस्र का एक अमीर बिजनेसमैन था। उसकी उम्र पचास साल के लगभग थी कि एक दिन उसे दिल में दर्द महसूस हुआ, जब उसने काहिरा के सबसे बड़े अस्पताल में अपना इलाज कराया तो उनहों ने माफ़ी मांगते हुए कहा की इसके इलाज के लिए यूरोप जाना होगा, यूरोप में सभी चैकअप पूरा करने के बाद वहां के डॉक्टरों ने उसे बताया कि तुम सिर्फ कुछ दिनों के मेहमान हो, क्योंकि तुम्हारा दिल काम करना छोड़ रहा है। वह व्यक्ति बाईपास करवा मिस्र वापस आ गया और अपने जीवन के बाकी दिन गिन गिन कर बिताने लगा। एक दिन वह एक दुकान से गोश्त खरीद रहा तहा जब उसने देखा कि एक औरत क़साई के फेंकते हुए गोश्त के टुकड़े इकट्ठा कर रही है। इस व्यक्ति ने महिला से पूछा क्यों आप ऐसा कर रही हो? औरत ने जवाब दिया कि घर में बच्चे गोश्त खाने की जिद कर रहे थे, क्योंकि मेरा पति मर चुका है और घर में कोई दूसरा कमाने वाला नहीं है इसलिए मैंने बच्चों की जिद की खातिर मजबूर होकर यह कदम उठाया है, इस फेंकी हुई चर्बी साथ थोड़ा गोश्त भी आ जाता है जिसे साफ कर के पका लूँगी। बिजनेसमैन की आंखों में आंसू आ गए उसने सोचा मेरी इतनी दौलत मुझे क्या लाभ में तो अब बस कुछ ही दिनों का मेहमान हूँ, मेरी दौलत किसी गरीब के काम आ इससे अच्छा और क्या।