Mukesh Koli
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Posted 5 year ago
पेटेंट और कॉपीराइट के बीच अंतर क्या है
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Tanya
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Posted 5 year ago Tanya Gurushala Teacher Coach

पेटेंट – पेटेंट ऐसी व्यवस्था है जिसके तहत किसी भी नयी खोज से बनने वाले प्रोडक्ट पर उसके खोजकर्ता को सरकार द्वारा एकाधिकार दिया जाता है। एक बार पेटेंट मिल जाने के एक निश्चित समय तक कोई दूसरा व्यक्ति ना तो उस प्रोडक्ट को बना सकता है और ना ही बेच सकता है। लेकिन अगर कोई अन्य व्यक्ति उस पेटेंट किये हुए प्रोडक्ट को बनाना चाहे तो उसे लाइसेंस लेना पड़ता है और रॉयल्टी देनी होती है। विश्व व्यापार संगठन द्वारा पेटेंट की अवधि 20 साल तय की गयी है। पेटेंट हासिल करने वाले व्यक्ति को ये अधिकार प्राप्त होते हैं कि वो अपना ये अधिकार बेचे या ट्रांसफर कर सके। किसी प्रोडक्ट के अलावा प्रोसेस का भी पेटेंट कराया जा सकता है, जिसका सम्बन्ध नयी तकनीक या किसी प्रोडक्ट को बनाने की विधि से है। लेकिन पेटेंट का ये आदेश जिस देश में जारी किया जाता है उसकी सीमाओं के अंदर ही इसे लागू माना जाता है। सामान्यतः पेटेंट 3 प्रकार के होते हैं– 1. यूटिलिटी पेटेंट – ये पेटेंट उपयोगी प्रोसेस, मशीन, प्रोडक्ट का कच्चा माल, किसी प्रोडक्ट का कम्पोज़िशन या इनमें से किसी में भी सुधार को सुरक्षित रखता है। जैसे- दवाइयां, कंप्यूटर हार्डवेयर, फाइबर ऑप्टिक्स। 2. डिजाइन पेटेंट – ये पेटेंट प्रोडक्ट के नए, ओरिजिनल और डिजाइन के गैर कानूनी इस्तेमाल को रोकता है। जैसे- कार्टून करेक्टर, एथलेटिक शूज का डिजाइन, जिन्हें पेटेंट से सुरक्षित रखा जाता है। 3. प्लांट पेटेंट – नए तरीके से तैयार की गयी पेड़-पौधों की किस्मों को सुरक्षित करने के लिए ये पेटेंट किया जाता है। जैसे- बेटर बॉय टमाटर, हाइब्रिड गुलाब और सिल्वर क्वीन भुट्टा प्लांट पेटेंट के उदाहरण हैं। ऐसे आविष्कार का पेटेंट कराया जा सकता है जो एकदम नया या अनोखा हो, सबसे अलग हो और उसका उपयोगी होना भी ज़रूरी है जबकि प्रकृति के नियमों जैसे हवा और गुरुत्वाकर्षण, मिट्टी और पानी जैसे नेचुरल चीज़ों और किसी भाववाचक आइडिया का पेटेंट नहीं कराया जा सकता। कॉपीराइट – कॉपीराइट राइटिंग, संगीत और कला से सम्बंधित ऐसे कामों को सुरक्षित करता है जो स्पष्ट रूप से अभिव्यक्त किये गए हों और भौतिक माध्यमों में संग्रहित किये गए हो। ये अधिकार रचनाकार का जीवन रहने तक और इसके बाद के 70 सालों तक सुरक्षित रहता है। लेखन कार्य, विजुअल कार्य, नाटकीय कार्य, ऑडियोविजुअल कार्य, ध्वनि रिकॉर्डिंग, वीडियो गेम और कंप्यूटर सॉफ्टवेयर जैसे कामों को कॉपीराइट द्वारा सुरक्षित रखा जा सकता है। ये अधिकार सिर्फ कॉपीराइट होल्डर के पास ही होता है कि वो अपनी रचना को दोबारा प्रकाशित करके प्रॉफिट ले सके। अगर वो चाहे तो इसके अधिकार किसी ओर को ट्रांसफर भी कर सकता है और बेच भी सकता है। किसी कृति पर एक निश्चित समय तक कॉपीराइट मान्य रहता है जिसके बाद उस कृति को सार्वजनिक मान लिया जाता है। भारत में कॉपीराइट को लेकर कॉपीराइट एक्ट–1957 लागू है। किसी व्यक्ति की रचना को “नैतिक अधिकार” के तौर पर कुछ कानूनी मान्यता भी प्राप्त होती हैं यानि उस व्यक्ति की कृति का इस्तेमाल करने पर उसे इसके लिए श्रेय दिया जाना चाहिए। कुछ विशेष परिस्थितियों में कॉपीराइट एक्ट का उल्लंघन किये बिना, उस रचना का इस्तेमाल किया जा सकता है जैसे – उस रचनाकार को श्रेय दिया हो, उस सामग्री से कमाई ना की हो या उस रचना की प्रतिलिपि के लिए शुल्क अदा किया हो। ऐसी ही कुछ और परिस्थितियों को ध्यान में रखकर कॉपीराइट की गयी रचनाओं को उपयोग में लिया जा सकता है।

Arvind Ashok kadam
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Posted 4 year ago Arvind Ashok kadam

 

पेटेंट – पेटेंट ऐसी व्यवस्था है जिसके तहत किसी भी नयी खोज से बनने वाले प्रोडक्ट पर उसके खोजकर्ता को सरकार द्वारा एकाधिकार दिया जाता है। एक बार पेटेंट मिल जाने के एक निश्चित समय तक कोई दूसरा व्यक्ति ना तो उस प्रोडक्ट को बना सकता है और ना ही बेच सकता है। लेकिन अगर कोई अन्य व्यक्ति उस पेटेंट किये हुए प्रोडक्ट को बनाना चाहे तो उसे लाइसेंस लेना पड़ता है और रॉयल्टी देनी होती है। विश्व व्यापार संगठन द्वारा पेटेंट की अवधि 20 साल तय की गयी है। पेटेंट हासिल करने वाले व्यक्ति को ये अधिकार प्राप्त होते हैं कि वो अपना ये अधिकार बेचे या ट्रांसफर कर सके। किसी प्रोडक्ट के अलावा प्रोसेस का भी पेटेंट कराया जा सकता है, जिसका सम्बन्ध नयी तकनीक या किसी प्रोडक्ट को बनाने की विधि से है। लेकिन पेटेंट का ये आदेश जिस देश में जारी किया जाता है उसकी सीमाओं के अंदर ही इसे लागू माना जाता है। सामान्यतः पेटेंट 3 प्रकार के होते हैं– 1. यूटिलिटी पेटेंट – ये पेटेंट उपयोगी प्रोसेस, मशीन, प्रोडक्ट का कच्चा माल, किसी प्रोडक्ट का कम्पोज़िशन या इनमें से किसी में भी सुधार को सुरक्षित रखता है। जैसे- दवाइयां, कंप्यूटर हार्डवेयर, फाइबर ऑप्टिक्स। 2. डिजाइन पेटेंट – ये पेटेंट प्रोडक्ट के नए, ओरिजिनल और डिजाइन के गैर कानूनी इस्तेमाल को रोकता है। जैसे- कार्टून करेक्टर, एथलेटिक शूज का डिजाइन, जिन्हें पेटेंट से सुरक्षित रखा जाता है। 3. प्लांट पेटेंट – नए तरीके से तैयार की गयी पेड़-पौधों की किस्मों को सुरक्षित करने के लिए ये पेटेंट किया जाता है। जैसे- बेटर बॉय टमाटर, हाइब्रिड गुलाब और सिल्वर क्वीन भुट्टा प्लांट पेटेंट के उदाहरण हैं। ऐसे आविष्कार का पेटेंट कराया जा सकता है जो एकदम नया या अनोखा हो, सबसे अलग हो और उसका उपयोगी होना भी ज़रूरी है जबकि प्रकृति के नियमों जैसे हवा और गुरुत्वाकर्षण, मिट्टी और पानी जैसे नेचुरल चीज़ों और किसी भाववाचक आइडिया का पेटेंट नहीं कराया जा सकता। कॉपीराइट – कॉपीराइट राइटिंग, संगीत और कला से सम्बंधित ऐसे कामों को सुरक्षित करता है जो स्पष्ट रूप से अभिव्यक्त किये गए हों और भौतिक माध्यमों में संग्रहित किये गए हो। ये अधिकार रचनाकार का जीवन रहने तक और इसके बाद के 70 सालों तक सुरक्षित रहता है। लेखन कार्य, विजुअल कार्य, नाटकीय कार्य, ऑडियोविजुअल कार्य, ध्वनि रिकॉर्डिंग, वीडियो गेम और कंप्यूटर सॉफ्टवेयर जैसे कामों को कॉपीराइट द्वारा सुरक्षित रखा जा सकता है। ये अधिकार सिर्फ कॉपीराइट होल्डर के पास ही होता है कि वो अपनी रचना को दोबारा प्रकाशित करके प्रॉफिट ले सके। अगर वो चाहे तो इसके अधिकार किसी ओर को ट्रांसफर भी कर सकता है और बेच भी सकता है। किसी कृति पर एक निश्चित समय तक कॉपीराइट मान्य रहता है जिसके बाद उस कृति को सार्वजनिक मान लिया जाता है। भारत में कॉपीराइट को लेकर कॉपीराइट एक्ट–1957 लागू है। किसी व्यक्ति की रचना को “नैतिक अधिकार” के तौर पर कुछ कानूनी मान्यता भी प्राप्त होती हैं यानि उस व्यक्ति की कृति का इस्तेमाल करने पर उसे इसके लिए श्रेय दिया जाना चाहिए। कुछ विशेष परिस्थितियों में कॉपीराइट एक्ट का उल्लंघन किये बिना, उस रचना का इस्तेमाल किया जा सकता है जैसे – उस रचनाकार को श्रेय दिया हो, उस सामग्री से कमाई ना की हो या उस रचना की प्रतिलिपि के लिए शुल्क अदा किया हो। ऐसी ही कुछ और परिस्थितियों को ध्यान में रखकर कॉपीराइट की गयी रचनाओं को उपयोग में लिया जा सकता है।

Poornima Sathe
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Posted 5 year ago Poornima Sathe

कॉपीराइट और पेटेंट के बीच अंतर। पेटेंट एक आविष्कार का उल्लेख करते हैं, जबकि कॉपीराइट एक विचार की अभिव्यक्ति का उल्लेख करते हैं, जैसे कि एक कलात्मक कार्य। वे विभिन्न नियमों द्वारा शासित होते हैं, इसलिए यह जानना महत्वपूर्ण है कि आपके कार्यों पर क्या लागू होता है