Mukesh Koli
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Posted 6 year ago https://hi.quora.com/
क्या आप जानते हैं भारत में रविवार की छुट्टी किस व्यक्ति ने दिलाई ?




जिस व्यक्ति की वजह से हमें ये छुट्टी हासिल हुयी है, उस महापुरुष का नाम है “नारायण मेघाजी लोखंडे”. नारायण मेघाजी लोखंडे ये जोतीराव फुलेजी के सत्यशोधक आन्दोलन के कार्यकर्ता थे। और कामगार नेता भी थे। अंग्रेजो के समय में हफ्ते के सातो दिन मजदूरो को काम करना पड़ता था। लेकिन नारायण मेघाजी लोखंडे जी का ये मानना था की, हफ्ते में सात दिन हम अपने परिवार के लिए काम करते है। लेकिन जिस समाज की बदौलत हमें नौकरिया मिली है, उस समाज की समस्या छुड़ाने के लिए हमें एक दिन छुट्टी मिलनी चाहिए। उसके लिए उन्होंने अंग्रेजो के सामने 1881 में प्रस्ताव रखा। लेकिन अंग्रेज ये प्रस्ताव मानने के लिए तयार नहीं थे।इसलिए आख़िरकार नारायण मेघाजी लोखंडे जी को इस sunday की छुट्टी के लिए 1881 में आन्दोलन करना पड़ा। ये आन्दोलन दिन-ब-दिन बढ़ते गया। लगभग 8 साल ये आन्दोलन चला। आखिरकार 1889 में अंग्रेजो को Sunday की छुट्टी का ऐलान करना पड़ा।
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Shubhendu Chakravorty
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Posted 6 year ago Shubhendu Chakravorty

Very interesting information. Recently Microsoft has experimented a four day work week in Japan. The employees have to work for four days a week. This has led to rise in sales for close to 40% compared to the same period in the previous year. This has also resulted in other savings like saving of paper, electricity etc. Overall it has been a successful experiment.

https://www.theverge.com/2019/11/5/20949366/microsoft-japan-four-day-working-week-trial-pilot-program-productivity-improvement-cost-decrease
Rahul Raut
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Posted 6 year ago Rahul Raut

साथियों, जिस व्यक्ति की वजह से हमें ये छुट्टी हासिल हुयी है, उस महापुरुष का नाम है "नारायण मेघाजी लोखंडे". नारायण मेघाजी लोखंडे ये जोतीराव फुलेजी के सत्यशोधक आन्दोलन के कार्यकर्ता थे। और कामगार नेता भी थे। अंग्रेजो के समय में हफ्ते के सातो दिन मजदूरो को काम करना पड़ता था। लेकिन नारायण मेघाजी लोखंडे जी का ये मानना था की, हफ्ते में सात दिन हम अपने परिवार के लिए काम करते है। लेकिन जिस समाज की बदौलत हमें नौकरिया मिली है, उस समाज की समस्या छुड़ाने के लिए हमें एक दिन छुट्टी मिलनी चाहिए। उसके लिए उन्होंने अंग्रेजो के सामने 1881 में प्रस्ताव रखा। लेकिन अंग्रेज ये प्रस्ताव मानने के लिए तयार नहीं थे। इसलिए आख़िरकार नारायण मेघाजी लोखंडे जी को इस रविवार की छुट्टी के लिए 1881 में आन्दोलन करना पड़ा। ये आन्दोलन दिन-ब-दिन बढ़ते गया। लगभग 8 साल ये आन्दोलन चला। आखिरकार 1889 में अंग्रेजो को संडे की छुट्टी का ऐलान करना पड़ा। ये है इतिहास। लोग छोड़ो लेकिन क्या पढ़े लिखे लोग भी इस बात को जानते है?जहा तक हमारी जानकारी है, पढ़े लिखे लोग भी इस बात को नहीं जानते। अगर जानकारी होती तो संडे के दिन एन्जॉय नहीं करते....समाज का काम करते....और अगर समाज का काम ईमानदारी से करते तो समाज में भुखमरी, बेरोजगारी, बलात्कार, गरीबी, लाचारी ये समस्या नहीं होती। साथियों, इस रविवार की छुट्टीपर हमारा हक़ नहीं है, इसपर "समाज" का हक़ है। कोई बात नहीं, आज तक हमें ये मालूम नहीं था लेकिन अगर आज हमें मालूम हुआ है तो आज से ही रविवार का ये दिन सामाजिक कार्यों के लिए समर्पित करें

Ashvendra sharma
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Posted 5 year ago Ashvendra sharma Ashvendra Sharma

जिस व्यक्ति की वजह से हमें ये छुट्टी हासिल हुयी है, उस महापुरुष का नाम है “नारायण मेघाजी लोखंडे”. नारायण मेघाजी लोखंडे ये जोतीराव फुलेजी के सत्यशोधक आन्दोलन के कार्यकर्ता थे। और कामगार नेता भी थे।

Ashish Singal
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Posted 5 year ago Ashish Singal Ashish SInghal

जिस व्यक्ति की वजह से हमें ये छुट्टी हासिल हुयी है, उस महापुरुष का नाम है “नारायण मेघाजी लोखंडे”. नारायण मेघाजी लोखंडे ये जोतीराव फुलेजी के सत्यशोधक आन्दोलन के कार्यकर्ता थे। और कामगार नेता भी थे

Deepak Sharma
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Posted 5 year ago Deepak Sharma deepak sharma

जिस व्यक्ति की वजह से हमें ये छुट्टी हासिल हुयी है, उस महापुरुष का नाम है “नारायण मेघाजी लोखंडे”. नारायण मेघाजी लोखंडे ये जोतीराव फुलेजी के सत्यशोधक आन्दोलन के कार्यकर्ता थे। और कामगार नेता भी थे।

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