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मानव के दाँत चार प्रकार के होते है इस प्रकार के_ (1) छेदक या कृंतक (incisor) -- काटने का दाँत, (2) भेदक या रदनक (canine)-- फाड़ने के दाँत, (3) अग्रचर्वणक (premolar) और (4) चर्वणक (molar) -- चबाने के दाँत। ये चार प्रकार के होते हैं। मुख में सामने की ओर या जबड़ों के मध्य में छेदक दाँत होते हैं। ये आठ होते हैं, चार ऊपर, चार नीचे। इनके दंतशिखर खड़े होते हैं। रुखानी के आकार सदृश ये दाँत ढालू धारवाले होते हैं। इनका समतल किनारा काटने के लिये धारदार होता है। इनकी ग्रीवा सँकरी, तथा मूल लंबा, एकाकी, नुकीला, अनुप्रस्थ में चिपटा और बगल में खाँचेदार होता है। भेदक दाँत चार होते हैं, छेदकों के चारों ओर एक एक। ये छेदक से बड़े और तगड़े होते हैं। इनका दंतमूल लंबा और उत्तल, शिखर बड़ा, शंकुरूप, ओठ का पहलू उत्तल और जिह्वापक्ष कुछ खोखला और खुरदरा होता है। इनका छोर सिमटकर कुंद दंताग्र में समाप्त होता है और यह दंतपंक्ति की समतल रेखा से आगे निकला होता है। भेदक दाँत का दंतमूल शंकुरूप, एकाकी एवं खाँचेदार होता है। अग्रचर्वणक आठ होते हैं और दो-दो की संख्या में भेदकों के पीछे स्थित होते हैं। ये भेदकों से छोटे होते हैं। इनका शिखर आगे से पीछे की ओर सिमटा होता है। शिखर के माथे पर एक खाँचे से विभक्त दो पिरामिडल गुलिकाएँ होती हैं। इनमें ओठ की ओरवाली गुलिका बड़ी होती है। दंतग्रीवा अंडाकार और दंतमूल एक होता है (सिवा ऊपर के प्रथम अग्रचर्वणक के, जिसमें दो मूल होते हैं)। चर्वणक स्थायी दाँतों में सबसे बड़े, चौड़े शिखरयुक्त तथा चर्वण क्रिया के लिये विशेष रूप से समंजित होते हैं। इनकी संख्या 12 होती है -- अग्रचर्वणकों के बाद सब ओर तीन, तीन की संख्या में। इनका शिखर घनाकृति का होता है। इनकी भीतरी सतह उत्तल और बाहरी चिपटी होती है।
4 prakar ke dat note jai.incisors, canines, premolars (also called bicuspids), and molars. Incisors are primarily used for cutting, canines are for tearing, and molars serve for grinding.