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उपग्रह ग्रह की परिक्रमा करनेवाले आकाशीय पिंडों को उपग्रह कहते हैं। चंद्रमा भी पृथ्वी का उपग्रह है। अपने ग्रहों की परिक्रमा करने में उपग्रह एक निश्चित कक्षा में, निश्चित वेग से, घूमते हैं जिससे प्रत्येक स्थान पर अपकेंद्र बल, गुरुत्वीय बल के बराबर और उसके विपरीत हो जाता है। यदि किसी उपग्रह का द्रव्यमान m है जो M के एक ग्रह के चारों ओर v वेग से घूम रहा है और उसकी वृत्तकार त्रिज्या r है तो अपकेंद्र बलआकर्षण या जिसमें G गुरुत्वांक है, या v2 R=G M. जो एक नियंताक के बराबर होगा। पृथ्वी से चंद्रमा 3,80,000 कि.मी. दूर है और उसका वेग एक कि.मी. प्रति सेकंड के लगभग है जो पृथ्वी के पास के उपग्रह के वेग का केवल 1/8 है। अत: चंद्रमा एक महीने में पृथ्वी की परिक्रमा पूरी करता है जब कि पृथ्वी के पास का उपग्रह एक दिन में 15 परिक्रमा कर लेता है। कृत्रिम उपग्रह- यदि किसी मानवनिर्मित उपग्रह को पृथ्वी की परिक्रमा करने के लिए अंतरिक्ष में भेजना है तो उसके लिए कम से कम 8 कि.मी. या 5 मील प्रति से. का वेग आवश्यक है। इस वेग को प्रथम अंतरिक्ष वेग (First comic velocity) कहते हैं। यदि वेग 11.2 कि.मी. प्रति सेकंड हो जाय तो वह द्वितीय अंतरिक्ष वेग या पलायन वेग (escape velocity) कहलाता है। उपग्रह इस वेग द्वारा पृथ्वी के आकर्षणक्षेत्र से बाहर हो जाएगा तथा सौर मंडल में अन्यत्र चला जाएगा। पलायन वेग वह कम से कम वेग है जिससे किसी वस्तु को पृथ्वी के ऊपर की ओर फेंकने पर वह वस्तु की गुरुत्वाकर्षण सीमा से बाहर निकल जाए और फिर लौटकर पृथ्वी पर वापस न आ सके।