Devendra Sahai
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Posted 6 year ago
भरतनाट्यम किस राज्य का शास्त्रीय नृत्य है ?
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Devendra singh
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Posted 6 year ago Devendra singh Guru Shala Teacher Coach

Bharatanatyam is a major form of Indian classical dance that originated in the state of Tamil Nadu

Shweta Jain
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Posted 6 year ago Shweta Jain Teacher

भरतनाट्यम् या सधिर अट्टम मुख्य रूप से दक्षिण भारत की शास्त्रीय नृत्य शैली है। इस नृत्यकला मे भावम्, रागम् और तालम् इन तीन कलाओ का समावेश होता है। भावम् से 'भ', रागम् से 'र' और तालम् से 'त' लिया गया है। इसी लिए भरतनात्यम् यह नाम अस्तित्व मे आया है। यह भरत मुनि के नाट्य शास्त्र (जो ४०० ईपू का है) पर आधारित है। वर्तमान समय में इस नृत्य शैली का मुख्य रूप से महिलाओं द्वारा अभ्यास किया जाता है। इस नृत्य शैली के प्रेरणास्त्रोत चिदंबरम के प्राचीन मंदिर की मूर्तियों से आते हैं। भरतनाट्यम् को सबसे प्राचीन नृत्य माना जाता है। इस नृत्य को तमिलनाडु में देवदासियों द्वारा विकसित व प्रसारित किया गया था। शुरू शुरू में इस नृत्य को देवदासियों के द्वारा विकसित होने के कारण उचित सम्मान नहीं मिल पाया| लेकिन बीसवी सदी के शुरू में ई. कृष्ण अय्यर और रुकीमणि देवी के प्रयासों से इस नृत्य को दुबारा स्थापित किया गया। भरत नाट्यम के दो भाग होते हैं इसे साधारणत दो अंशों में सम्पन्न किया जाता है पहला नृत्य और दुसरा अभिनय| नृत्य शरीर के अंगों से उत्पन्न होता है इसमें रस, भाव और काल्पनिक अभिव्यक्ति जरूरी है। भरतनाट्यम् में शारीरिक प्रक्रिया को तीन भागों में बांटा जाता है -: समभंग, अभंग, त्रिभंग भरत नाट्यम में नृत्य क्रम इस प्रकार होता है। आलारिपु - इस अंश में कविता(सोल्लू कुट्टू ) रहती है। इसी की छंद में आवृति होती है। तिश्र या मिश्र छंद तथा करताल और मृदंग के साथ यह अंश अनुष्ठित होता है, इसे इस नृत्यानुष्ठान कि भूमिका कहा जाता है। जातीस्वरम - यह अंश कला ज्ञान का परिचय देने का होता है इसमें नर्तक अपने कला ज्ञान का परिचय देते हैं। इस अंश में स्वर मालिका के साथ राग रूप प्रदर्शित होता होता है जो कि उच्च कला कि मांग करता है। शब्दम - ये तीसरे नम्बर का अंश होता है। सभी अंशों में यह अंश सबसे आकर्षक अंश होता है। शब्दम में नाट्यभावों का वर्णन किया जाता है। इसके लिए बहुविचित्र तथा लावण्यमय नृत्य पेश करेक नाट्यभावों का वर्णन किया जाता है। वर्णम - इस अंश में नृत्य कला के अलग अलग वर्णों को प्रस्तुत किया जाता है। वर्णम में भाव, ताल और राग तीनों कि प्रस्तुति होती है। भरतनाट्यम् के सभी अंशों में यह अंश भरतनाट्यम् का सबसे चुनौती पूर्ण अंश होता है। पदम - इस अंश में सात पन्क्तियुक्त वन्दना होती है। यह वन्दना संस्कृत, तेलुगु, तमिल भाषा में होती है। इसी अंश में नर्तक के अभिनय की मजबूती का पता चलता है। तिल्लाना - यह अंश भरतनाट्यम् का सबसे आखिरी अंश होता है। इस अंश में बहुविचित्र नृत्य भंगिमाओं के साथ साथ नारी के सौन्दर्य के अलग अलग लावणयों को दिखाया जाता है।

Rahul Raut
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Posted 6 year ago Rahul Raut

या शैलीचा उगम दक्षिण भारतातील मंदिरांमध्ये झाला. ही एकल नृत्यशैली असून भरतमुनींच्या नाट्यशास्त्रावर आधारित आहे. भरतनाट्यमचे सादरीकरण कर्नाटकी संगीताच्या साथीने होते.या नृत्य पद्धतीवर द्रविड संस्कृतीचा प्रभाव आहे.यात मृदंगम,तालम,वीणा,बासरी ,घटम आदि वाद्यांची साथसंगत असते. चेन्नय्या पोन्नय्या शिवानंद आणि वडिवेल या तंजावूर बंधू म्हणून मान्यता पावलेल्या संगीतकारांनी या नृत्याचा मार्गम रचला आणि त्याच क्रमाने आजही नृत्य प्रस्तुती करण्याची पद्धत आहे.सुरुवातीला मंदिरात केली जाणारी ही कला नंतर राजदरबारात आणि रंगमंचावर सादर केली जाऊ लागली. पूर्वी देवपूजेचा भाग म्हणून देवदासी देवळात नृत्य करत.देवालायांना आणि देवदासींना राजाश्रय असे.

Aparna sharma
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Posted 6 year ago Aparna sharma Teacher

Tamilnadu

Shri Champa Lal
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Posted 6 year ago Shri Champa Lal

भरतनाट्यम तमिल नाडु का राज्य नृत्य है।

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