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मानसिक एवं आध्यात्मिक शक्ति है। आत्मविश्वास से ही विचारों की स्वाधीनता प्राप्त होती है और इसके कारण ही महान कार्यों के सम्पादन में सरलता और सफलता मिलती है। इसी के द्वारा आत्मरक्षा होती है। जो व्यक्ति आत्मविश्वास से ओत-प्रोत है, उसे अपने भविष्य के प्रति किसी प्रकार की चिन्ता नहीं रहती। उसे कोई चिन्ता नहीं सताती। दूसरे व्यक्ति जिन सन्देहों और शंकाओं से दबे रहते हैं, वह उनसे सदैव मुक्त रहता है। यह प्राणी की आंतरिक भावना है। इसके बिना जीवन में सफल होना अनिश्चित है।
बच्चे की स्वाभाविक क्रिया है। भिन्न-भिन्न आयु वर्ग के बच्चे विभिन्न प्रकार के खेल खेलते हैं। ये विभिन्न प्रकार के खेल बच्चों के समपूर्ण विकास में सहायक होते हैं। खेल से बच्चों का शारीरिक विकास, संज्ञानात्मक विकास, संवेगात्मक विकास, सामाजिक विकास एवम् नैतिक विकास को बढ़ावा मिलता है किन्तु अभिभावकों की खेल के प्रति नकारात्मक अभिवृत्ति एवम् क्रियाकलाप ने बुरी तरह प्रभावित किया हैं। अतः यह अनिवार्य है कि शिक्षक और माता-पिता खेल के महत्व को समझें।
बहुत जरुरी है क्योकि एक्स्ट्रा क्यूरिकुलम एक्टिविटीज़ से बच्चों के अंदर लीडरशिप, प्रेजेंटेशन, कॉन्फिडेंस,समूह में काम करना और भी बहुत सारे स्किल्स का विकास होता हैं जो बस पढ़ाई से नहीं होगा|
https://blog.prepscholar.com/what-are-extracurricular-activities-and-why-do-you-need-themखेलकूद और पढ़ाई के अतिरिक्त होने वाली गतिविधियाँ बच्च्चों के आत्मविश्वास को बढाने में सहायक होती हैं क्योकि इसमें छात्र comfortable feel करता हैं और यह छात्रों के बीच bonding बनाने में सहायक हैं