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रेगिस्तान में पानी की कमी होती है। अनुकूलन के कारण पत्तियाँ कांटो में बदल जाती है। जिससे वाष्पोत्सर्जन की क्रिया कम हो।
रेगिस्तान वनस्पतियों के लिए रुचिकर प्राकृतिक वास नहीं होते हैं यहां का तेज प्रकाश तथा उच्च तापमान पौधों के पनपने के लिए उत्साहवर्धक नहीं होता है। सूर्य की प्रखर किरणें पौधों में उपस्थित रंगीन पदार्थों (पिगमेंट) को नष्ट करती हैं जबकि उच्च तापमान पौधों में होने वाली रासायनिक क्रियाओं को प्रभावित करता है, इसके अलावा जल की कमी तो सबसे अधिक कष्टकारक होती है। वाष्पीकरण अत्यधिक होने के कारण रेगिस्तान में पाए जाने वाले पेड़-पौधों के लिए जल का भंडारण तथा उसका उपयोग करना विशेष समस्या होती है।
रेगिस्तान में प्राकृतिक वास करने वाले पौधों को जीरोफाइट्स यानी शुष्क भूमि के पौधे कहते हैं। रेगिस्तानी वनस्पतियों का वर्गीकरण तीन मुख्य अनुकूलन प्रवृत्ति के आधार पर गूदेदार, सूखा सहनशील और सूखे से बचाव के आधार पर किया गया है। इनमें से प्रत्येक भिन्न अनुकूलन के लिए प्रभावी हैं। कुछ परिस्थितियों में अन्य वनस्पतियां नष्ट हो जाती हैं लेकिन इन गुणों को अपनाकर रेगिस्तानी वनस्पतियां अच्छे से पनपती हैं।