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कायथा के उत्खनन से पाँच संस्कृतियाँ के अवशेष मिलते है जिन्हें कायथा, आहाड़, मालवा आरम्भिक ऐतिहासिक युग तथा शुंग–कुषाण–गुप्त युग की संस्कृति कहा गया है। इनमें सबसे प्राचीन संस्कृति कायथा की है। इस सांस्कृतिक स्तर से हलके गुलाबी, पीले तथा भूरे रंग के मृद्भाण्ड प्राप्त होते है। प्रमुख पात्र घवड़े, कटोरे, तसले, मटके, लोटे, थालियाँ, नाँद आदि है। कुछ हाथ से बने हुए मिट्टी के बर्तन भी मिलते है। कुछ बर्तनों पर चित्रकारियाँ भी मिलती है। धातुओं में ताँबे तथा कांसे के उपकरण एवं आभूषण, जैसे – कुल्हाड़ी, छैनी, चूड़ी, मनकों के हार आदि प्राप्त हुए है। एक घड़े के भीतर लगभग चालीस हजार छोटे मनके मिले है। कुछ लघुपाषाणोकरण (माइक्रोलिथ) भी प्राप्त होते है। उत्खनन सामग्रियों से यह संकेत मिलता है कि इस संस्कृति के लोग लकड़ी के लट्ठों, बांस की बल्लियों, मिट्टी, घास-फूस आदि की सहायता से अपने मकानों का निर्माण करते थे। उनका जीवन खानाबदोश अथवा घूमक्कड़ नहीं था अपितु वे स्थायी रूप से इस क्षेत्र मे निवास करते थे। कायथा की संस्कृति का समय लगभग 2000 से 1800 ई. के मध्य निर्धारित किया गया है।