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मेरा मानना हैं की सभी छात्रों की मनोदशा अलग अलग होती हैं। पढाने के दौरान छात्रों से बातचीत के दौरान कभी कभी व्यक्तिगत बातचीत के दौरान हम छात्रों की मनोदशा को समझ पाते हैं और उनके लिए उचित कदम उठा पातें हैं। कुछ छात्र ऐसे भी होते हैं जो स्कूल आते हैं मगर वह अपनी घर की किसी न किसी परेशानी से झूझ रहे होते हैं ऐसे में जरुरी हैं की हम बचो के मनन को समझे और उनके माता पिता से भी बात करें। हमारा बिहेवियर एक दोस्त की तरह होना चाहिए। हमें छात्रों को दिल से समझना जरुरी हैं।