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गिनती में हर सम संख्या के बाद विषम संख्या आती है और हर विषम संख्या के बाद एक सम संख्या. इसे इस तरह भी कहा जा सकता है कि एक सम संख्या के पहले और बाद में विषम संख्याएं और एक विषम संख्या के पहले और बाद में सम संख्याएं होती हैं. इस हिसाब से शून्य के दोनों तरफ विषम संख्याएं मौजूद हैं. सो सम-विषम के क्रम के अनुसार यह एक सम संख्या हुई. एक से ज्यादा अंकों वाली किसी संख्या की समता उसके आखिरी अंक से जानी जाती है. किसी संख्या का आखिरी अंक अगर सम है तो वह सम संख्या होती है और अगर विषम है तो वह विषम संख्या होती है. उदाहरण के लिए 128 और 3794 में आखिरी के अंक 8 और 4 हैं. ये सम अंक हैं इसलिए 128 और 3794 सम संख्याएं हुईं. लेकिन सम संख्या के बुनियादी सिद्धांत के मुताबिक 10, 20 या 30 को भी दो समान भागों में बांटा जा सकता है. यानी ये भी सम संख्याएं हैं. अब चूंकि एक से ज्यादा अंक वाली वे सभी संख्याएं सम होती हैं, जिनका आखिरी अंक सम हो तो फिर इस हिसाब से 10, 20 या 30 के सम संख्या होने का मतलब है कि शून्य एक सम अंक है.
किसी भी संख्या की इकाई का अंक यदि 2, 4,6, 8, 0 हो , वो सम संख्याएँ होती है, बाकी सब विषम।