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जब हम किसी केंचुएँ या जोंक पर नमक का छिड़काव करते है तो उनके शरीर से तरल पदार्थ निकल आते है ! जिससे की उनके शरीर में पानी की कमी हो जाती है ! पानी कमी होने से किसी भी जिव की मृत्यु हो सकती है ऐसा ही केंचुएँ या जोंक के साथ होता है ! चूँकि नमक की यही प्रकृति है की वो साडी नमी अपने में सोंख लेता है क्युकी नमक एक अतिपरासरी विलयन है ! केंचुएं से शरीर के बहार अतिपरासरी विलयन होने से उनके शरीर कर तरल बहार आ जाते है ! जिससे की उनके शरीर में पानी कमी हो जाती है और वे मर जाते है |
चूँकि केचुँए एवं जोंक के शरीर में पानी की अधिकता होती है ! जब इन पर नमक का छिड़काव करते है तो अतिपरासरी होने के कारन इनके शरीर से जल बाहर निकलने लगता है ! जब शरीर में जल की कमी हो जाती है तो केंचुए मर जाते है जल किसी भी जिव के बाहर महत्वपूर्ण होता है ! जल के बिना कोई भी जीवन संभव नहीं है, जल जीवन का आधार है |
जोंक का नाम लेते ही मवेशियों और इंसानों से चिपक कर खून चूसने की न मालूम कितनी घटनाएं लोगों के मुंह से सुनी जा ... बस नमक या फिर मिट्टी का तेल डालो तभी छोड़ती है पीछा। ... आगे बढ़ने के लिए जोंक अपने पीछे के चूसक को ज़मीन पर चिपकती हे। ... और हर बार यह पूरी प्रक्रिया दोहराते हुए आगे बढ़ती जाती है।