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The Internet | 22 Jan 2021

Technology & Innovation

चौथी औद्योगिक क्रांति तथा भारत के विकास का संदर्भ

चौथी औद्योगिक क्रांति क्या है? इस विषय के बारे में जादातर लागों को पता नहीं है। डिजिटल पर आधारित औद्योगिक क्रांति को ही चौथी औद्योगिक क्रांति कहते है। प्रथम औद्योगिक क्रांति की शुरूआत 18वीं शताब्दी में इंगलैड़ में हुई थी जिसमें जल एवं वाष्प चालित यंत्र उत्पादन कार्ये के लिए किये जाते थे। 19वीं शताब्दी में विद्युत औद्योगिक क्रांति की शुरूआत हुई। इसकी प्रमुख विशेषता विद्युत संचालित मशीनों के प्रयोग के द्वारा बड़े पैमाने पर उत्पादन को संभव बनाना था। तीसरी औद्योगिक क्रांति की शुरूआत 1960 के दशक में हुई। इसके तहत इलेक्ट्रॉनिक्स तथा सूचना प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल स्वचालित उत्पादन के लिए किया गया।

अब डिजिटल पर आधारित चौथी औद्योगिक क्रांति का उदय हो चुका है। वर्ष 2016  विश्व आर्थिक मंच की वार्षिक बैठक का मुख्य विषय था -ं श्चौथी औद्योगिक क्रांतिश् या ’उद्योग 4.0’ था। विश्व आर्थिक मंच स्विटजरलैंड में स्थित एक गैर-लाभकारी संस्था है। इसका मुख्यालय जेनेवा में है। इसे निजी-सार्वजनिक सहयोग के लिए एक अंतरराष्ट्रीय संस्था के रूप में मान्यता प्राप्त है।  इसका मिशन हैः ”विश्व के व्यवसाय, राजनीति, शैक्षिक तथा अन्य क्षेत्रों में अग्रणी लोगों को एक साथ लाकर वैश्विक, क्षेत्रीय तथा औद्योगिक एजेंडे (कार्यसचू) की दिशा तय करना”। श्चौथी औद्योगिक क्रांतिश् या ’उद्योग 4.0’ इसका सामूहिक शब्द है जो समकालीन स्वचालन, डाटा (आधार समाग्री) एक्सचेंज (अदला बदली) और विनिर्माण प्रौद्योगिकी को समाविष्ट करता है तथा जिस तरह से वर्तमान समय में व्यवसाय संपन्न हो रहे हैं, उसमें मूलभूत परिवर्तन को भी इंगित करता है। यह उन नवाचारों और प्रौद्योगिकियों के क्रांतिकारी प्रयोगों को संदर्भित करता है जो भौतिक, डिजिटल (अंकसंबंधी) तथा जैविक क्षेत्रों के बीच की रेखा को धूमिल कर रहे हैं। 

उदाहरण के लिए-चालक विहीन कारें, स्मार्ट डिजिटल इलेक्ट्रॉनिक्स, कृत्रिम होशियारी, स्मार्ट रोबोटिक्स, कठोर और हल्के पदार्थ 3D छपाई, तकनीक का उपयोग करने वाली विनिर्माण प्रक्रियाएं, इंटरनेट सेवाए, मोबाईल ऐप आदि। इनकी विशेषता सिर्फ ये नए नवाचार ही नहीं हैं, अपितु यह भी है कि ये नवाचार चरघातांकीय दर से बदल रहे हैं तथा इन विचारों के साथ संगति बैठाने में असमर्थ उद्योगों को उनकी उत्पादन संबंधी गतिविधयों में बाधाओं का भी सामना करना पड़ रहा है।  नई प्रौद्योगिकी, सवंर्धित कनेक्टिविटी (संयोजकता), कृत्रिम बुद्धिमता आदि ने उद्योग संचालन, उपभोक्ता मांग और प्रतिस्पर्धा के स्वरूप को परिवर्तित कर दिया है।  साधारण डिजिटल तकनीक (तृतीय औद्योगिक क्रांति) के दौर से नवाचारों की एक संपूर्ण दुनिया में कंपनियों के स्थानांतरण (चौथी औद्योगिक क्रांति) ने उन्हें व्यवसाय करने के परंपरागत तरीकों में परिवर्तन करने के लिए विवश कर दिया है।

भारत डिजिटल प्रौद्योगिक आधारित चौथी वैश्विक औद्योगिक क्रांति में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। देश की युवा शक्ति के सहारे भारत मोबाइल पर इंटरनेट का इस्तेमाल करने वाली दूसरी सबसे बड़ी आबादी है. साथ ही यहां पर एक  बड़ी आबादी अंग्रेजी बोलने में सक्षम है। विश्व आर्थिक मंच के अध्यक्ष बॉर्ज ब्रेंडे ने कहा ’भारत चौथी वैश्विक औद्योगिक क्रांति में बड़ी भूमिका निभा सकता है क्यों की इनके पास युवा शक्ति है जो इंटरनेट, मोबाइल और शिक्षित है। बॉर्ज ब्रेंडे ने कहा कि भारत चौथी औद्योगिक क्रांति का नेतृत्व कर सकता है तथा इसके साथ ही अपनी वृद्धि एवं विकास की गुणवत्ता तथा टिकाऊपन को बेहतर कर सकता है। भारत सरकार भी डिजिटल प्रौद्योगिक पर आधारित अर्थव्यवस्था, उद्योग, शिक्षा, संचार आदि के संसाधनों के विकास पर बल दे रही है। चौथी वैश्विक औद्योगिक क्रांति भारत के युव वर्ग के लोगों को स्वरोगार और देश के आर्थिक विकास में बहुत योगदान दे सकती है। चौथी वैश्विक औद्योगिक क्रांति शिक्षा के क्षेत्र में भी बहुत परिर्वन कर देगी। कई देशों में सकूल स्तर पर रोबोटिक्स शिक्षा आरंभ हो चुकी है। डिजिटल ऑन लाई शिक्षा प्राणाली के माध्यम से कई विश्वविद्यालय अपने पाठ्यक्रमों का संचालन कर रहे है। भारत में अगले कुछ वर्षो में सभी प्रतियोगिता परीक्षा ऑनलाईन संचालन हो जायेगी जिससे परिक्षा में लगने वाला समय तथा धन की बडे पमौने पर बचत होगी और मानव तृटि की संभावना न के बराबर होगी। इसके साथ  कुछ ही समय पर परीक्षा परिणाम धोषित हो जायेगा। इसके साथ स्कूल स्तर में भी  पाठ्यक्रमों को डिजिटल करने तथा कठिन विषयों के ई-केंन्टेंट बनाने का प्रयास किया जा रहा है। ताकि शिक्षण कार्य रूचिपूर्ण बन सके। सही अर्थ में चौथी वैश्विक औद्योगिक क्रांति देश के विकास के लिए वरदान होगी यह हम आशा करते है।
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Pradeep Negi | 22 Jan 2021

History

Drafting the Indian Constitution

The Nuts & Bolts of the Indian Constitution

You probably know that Republic Day is a national holiday because India's Constitution came into being and changed the course of history. Here are some interesting facts about the drafting of our Constitution.

Have a look at How India's first Republic Day was celebrated.

Read more about drafting the Indian Constitution here

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Gurushala | 20 Jan 2021

Art & Culture

India's First Republic Day Celebration

Time Traveling to 26 January 1950

Republic Day is celebrated to remember the day when India’s constitution came into force on January 26, 1950. The constitution was adopted on November 26, 1949, but it was brought into effect on January 26, 1950. The first Republic Day was celebrated at the Irwin Amphitheatre (current Major Dhyan Chand National Stadium) in Delhi.

Unlike now, the first Republic Day had no performances and acts. The day was celebrated in a simple way with the Army band, flag hoisting, and national anthem. Let’s rewind the clock as we take you on a trip down memory lane..

Gurushala | 20 Jan 2021

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